Yogini Ekadashi Vrat Katha | योगिनी एकादशी व्रत कथा | Ekadashi Vrat Katha | Gyaras Katha #ekadashi

2024-07-01 3

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योगिनी एकादशी व्रत कथाः
स्वर्गलोक में इन्द्र की अलकापुरी में यक्षों का राजा कुबेर रहता था। शिवभक्त कुबेर के लिए प्रतिदिन हेम नामक माली फूल लेने मानसरोवर जाता और प्रात: राजा कुबेर के पास पहुंचाता था। एक दिन हेम माली रात्रि को फूल तो ले आया परंतु वह अपनी पत्नी विशालाक्षी के प्रेम के वशीभूत होकर घर विश्राम के लिए ही रुक गया।

प्रात: राजा कुबेर के पास भगवान शिव की पूजा करने के लिए फूल न पहुंचे तो राजा ने अपने सेवकों को कारण बताने के लिए हेम माली को बुलाकर लाने का आदेश दिया।

हेम माली को राजा कुबेर ने क्रोध में आकर श्राप दे दिया कि तुझे स्त्री वियोग सहन करना पड़ेगा तथा मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होना पड़ेगा। कुबेर के श्राप से हेम माली स्वर्ग से पृथ्वी पर जा गिरा और उसी क्षण कोढ़ी हो गया। भूख-प्यास से दुखी होकर भटकते हुए एक दिन वह मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा तथा राजा कुबेर से मिले श्राप के बारे में उन्हें बताया। हेम माली की सारी विपदा को सुनते हुए मार्कंडेय ऋषि ने उसे आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी का व्रत सच्चे भाव तथा विधि-विधान से करने के लिए कहा। हेम माली ने व्रत किया तथा उसके प्रभाव से उसे राजा कुबेर के श्राप से मुक्ति मिली।